भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भादॅ के रात / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:31, 14 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आबी गेलै भादॅ के रतिया हे सखि जुलमी अंधिरिया
छर छर चुऐ छै ओसरा के आरियानी
ठेहनॅ भर भरलॅ छै ऐंगना में पानी
के सुनतै दुखिया के बतिया हे सखी जुलमी अंधिरिया
पापी पपिहरा के बोलिया जराय छै
मेघवा के गड़ गड़ सें जियरा डराय छै
धड़ धड़ धड़ धड़कै छै छतिया हे सखि जुलमी अंधिरिया
बलमू बेदरदी जे भेलै परदेसिया
भरलॅ जवानी सखि भै गेल मटिया
अस मस मस मसकै छै अंगिया हे सखि जुलमी अंधिरिया

- शिवजी हीरो बनॅ हो सें