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रिश्ते / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

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खुद कपड़े पहने दूसरे को कपड़े पहने देखना खुद कपड़े पहने दूसरे को कपड़े न पहने देखना खुद कपड़े न पहने दूसरे को कपड़े न पहने देखना तीन अलग- अलग रिश्ते बनाना है

इनमें से पहले से तुम्हें मन बहलाना है दूसरे को खोजने जाना है तीसरे के साथ मिलकर

क्रान्ति और सृजन का परचम उठाना है।