रात कहती बात प्रियतम, तुम भी हमारी बात सुन लो, थक गये हो, जानती हूँ, प्रेम के अधिकार गुन लो ! है रात की बेला सुहानी, इस धरा पर हमारी, नीँद से बोझिल हैँ नैना, नमन मैँ प्रभु मनुज के! रात कहती है कहानी, थीस्वर्ग की शीतल कली, छोड जिसको आ गये थे- उस पुरानी - सखी की ! रात कहती बात प्रियतम ! तुम भी सुनो, मैँ भी सुनुँ ! हाथ का तकिया लगाये, पास मैँ लेटी रहूँ !