भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओस की बूँद (हाइकु) / जगदीश व्योम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

( हाइकु )


1

नदी बनाता

सोख हवा से नमीं

वृद्ध पहाड़।

2

छीन लेता है

धनी मेघों से जल

दानी पहाड़

3

अनाम गंध

बिखेर रही हवा

धान के खेत।

4

ओस की बूँद

कैक्टस पर बैठी

शूली पर सन्त।

5

छिड़ा जो युद्ध

रोयेगी मानवता

हँसेंगे गिद्ध।

6

बिना धूरी की

चल रही है चक्की

पिसेंगे सब।

7

गंध के बोरे

लाता है ढो ढोकर

हवा का घोड़ा।

8

धूप में तपा

पा गया सुर्ख रंग

टीले का टेसू।

9

चीखता रहा

झील पार चकोर

निर्मोही चाँद।

10

उगने लगे

कंकरीट के वन

उदास मन।