Last modified on 8 अप्रैल 2018, at 18:03

कठै गयो पाणी! / मोनिका गौड़

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:03, 8 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोनिका गौड़ |अनुवादक= |संग्रह=अं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सात समंदर गोपी चंदर
बोल म्हारी मछली
कितरो पाणी?
जोव म्हारी मछली
कठै गयो पाणी?
मछली कर दी गाणी-माणी
ना कीं आणी, ना कीं जाणी
उतरग्यो पाणी
रैयगी कहाणी
कांई बताऊं
कितरो पाणी
कठै गयो पाणी!

सोसण सारू
सगळा त्यार
गरीब री जबान रो पाणी
किरसै री आस रो पाणी
सूकग्यो मनड़ो
नीं रैयो आंख में ई पाणी
कांई बताऊं
कठै गयो पाणी!