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सदस्य वार्ता:Shashi dwivedi

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बोलो क्या मैं वृद्ध हुआ??

                      🙏🙏🙏🙏
               बोलो क्या मैं वृद्ध हुआ?
               जीवन की धारा में बहता,
                ऋतुवों से बातें करता,
                वर्षों से चलता चलता,
                आ गया कहां मैं?
                      कहाँ हूँ मैं?
                                        बोलो क्या......
                                        मैं बलशाली , मैं सुंदर था
                                        मैं समर्थ, मैं हष्ट पुष्ट
                                        कहाँ गयी मेरी काया?
                                        दिनभर जब न थकता था,
                                        आसमान की उम्मीदों को ,
                                        धरती पर रौंद के चलता था।
                                   आफिस , घर और इस समाज को 
                                    साथ साथ ले चलता था।
                                     बोलो क्या...
  मेरे चेहरे पर झुर्री है,
  मेरी काया सिकुड़ी सी है,
  कंपन है हाथों में मेरे,
  जोड़ों में दर्द है टीस रहा,
  तुतलाती मेरी जिह्वा,
 धुआं धुआं सा छाया है,
 मैं कैसा असहाय हुआ ?

कैसा निर्मम सा ये जीवन? जीवन है अब किस करवट ? बोलो क्या....

                                    निर्लज्ज हुआ मेरा जीवन,
                                    बेखबर यहां पर सब मुझसे
                                    दो बात कहूँ अब मैं किससे?
                                    मैं काका में, मैं नाना में, 
                                    मैं बाबा में हूँ तेरे
                                    नाम मिले  ना जाने कितने?
                                    पर कितने हैं मेरे अपने?
                                    क्या जीवन की है शाम यही?


क्या जीवन की यह भी बेला? बोलो क्या मैं वृद्ध हुआ??? बोलो....


शशि द्विवेदी प्राथमिक विद्यालय छितमपुर चोलापुर वाराणसी