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चल रे कहरबा / उमेश बहादुरपुरी

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ले चल रे कहरबा हमरा पियवा के देश।
एके गो सपनमा दिलवा कुच्छो न´् शेष।।
ले चल ....
उनखा से तनी हम तो नजरिया मिलइतूँ हल।
उनखा से तनी हम तो बोल बतिऐतूँ हल।
कोय तो पठा दे हमर पियवा के संदेश।।
ले चल ....
देखतूँ हल टुकुर-टुकुर उनखर सुरतिया।
देखतूँ हल टुकुर-टुकुर मोहनी मुरतिया।
ऊ काहे जाके बसला हें आंध्रा परदेस।।
ले चल ....
भला ऐसन बेदरदी के कउन समझाबे।
अनकर दरद जेकरा नजर न´् हे आबे।
ऊ तो हर पल लगाबे हमर दिलवा में ठेस।।
ले चल ....
दिलवा के बतिया हमर दिलवा में रह गेल।
कइलक बेदरदी ई हमरा से कउन खेल।
कहिया देखइतइ बहुरूपिया ऊ अपन भेस।।
ले चल ....