भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड़ना भिड़ना है बेकार / मृदुला झा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:46, 27 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मिल.जुल रहने की दरकार।

मेहनत का लेकर हथियारए
सपनों को करना साकार।

जीवन का अनुपम संगीतए
जन.जन के आपस का प्यार।

जीना चाहें गर बेखौफए
सह लें गुरुजन की फटकार।

सावन में कजरी के गीतए
विरहन की मीठी तकरार।