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जाने न कोई / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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101
बिछुड़े कैसे
सिंधु से जलधारा
प्यार अपार।
102
जाने न कोई
कथाएँ जो लिखी थीं
अश्रु -डुबोई।
103
गोद है भीगी
प्रलय बन बहे
आँसू बावरे।

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