२६ जनवरी
आनन्द विभोर सारी जनता है भारत की,नूतन त्यौहार की ख़ुशी है प्रेम पावनी
झंडा लहराता है तिरंगा शीश ऊंचा किये,छाई है सकल दिशि विजय की छावनी
भारत सरीखे धर्म निरपेक्ष राज्य बीच, एक ही कड़ी में जुडी मकरन्द लावणी
आई यह २६जनवरी 'मुकुंद' आज, झूमती स्वतन्त्रता सरस मनभावनी
एक ही समान मर्म,एक ही सामान धर्म,मानो देश में सुघर राम-राज छाया है
भारतीयता में शुद्ध मानवता फल रही, एक ही सामान सारे देश की काया है
माया है यहाँ न कोई और न कोई भेदभाव, सबमे विवेक मानो सहज समाया है
आई है छब्बीस जनवरी |
हो उत्फुल्ल दिशाएँ घहरी
यह भारत राष्ट्रीय पर्व है
उस पर सबको सहज गर्व है
इस राष्ट्रीय महान पर्व की,अनुपम अजब कहानी
इसके ही प्रताप से मानो,सुखी सकल है प्राणी
वीर जवाहर का वह जौहर
रावी-तट पर उभरा मनहर
प्रण लाहौर नगर का अभिनव
गुजर गया था घोषित दृढ रव
जनता को भी मिली प्रेरणा, चेतनता नव छाई
भारत में शुभ स्वतन्त्रता की,उषा प्रकट हो आई
स्वतन्त्रता युग -युग तक लहरे,
सदा तिरंगा झंडा फहरे
गांधी युग इतिहास अमर हो
शांति-सौरव्य सन्तत घर -घर हो
अति अनुराग युक्त गदगद हो,कवि वाणी उच्चारे
अमर रहे छब्बीस जनवरी,जब तक रवि -शशि तारे