कैसा शर्मनाक समय है
जीवित मित्र मिलता है
तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति
उपस्थित रहती है
और उस स्मृति के प्रति
बची खुची कृतज्ञता
या कभी कोई मिलता है
अपने साथ ख़ुद से लम्बी
अपनी आगामी छाया लिए
कैसा शर्मनाक समय है
जीवित मित्र मिलता है
तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति
उपस्थित रहती है
और उस स्मृति के प्रति
बची खुची कृतज्ञता
या कभी कोई मिलता है
अपने साथ ख़ुद से लम्बी
अपनी आगामी छाया लिए