Last modified on 24 दिसम्बर 2019, at 23:04

हमन है इश्क मस्ताना (ग़ज़ल) / दीनानाथ सुमित्र

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:04, 24 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनानाथ सुमित्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को इश्क़ से यारी
इसी को सर पे रक्खा है, नहीं यह फूल से भारी

जमाना जिस तरफ जाये, हमन क्यों उस तरफ जाये
हमन की राह अलबेली, हमन की राह है प्यारी

हमन इंसान है, इंसान की ही दोस्ती चाहे
बदरिया है, बरसते हैं, हमन की रंग खुद्दारी

समय का कबीरा कहिये, जलाकर घर जिए अब तक
न कोई हमन जैसा है, हमन से दूर मक्कारी

सुमित्तर भी हमन जैसा, बड़ा दिलदार मनुष्य है
रहा संसार से उबा, मगर लगता है संसारी