Last modified on 29 मार्च 2020, at 12:37

मुनियाँ की कविता / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:37, 29 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुनियाँ ने लिख डाली कविता,
सुंदर बड़ी निराली कविता।
वाह-वाह कितनी प्यारी,
मन को हरनेवाली कविता।
उसने इठला-इठला कर,
दादी से कह डाली कविता।
दादाजी ने पूछा तो,
झटपट कहीं छुपा ली कविता।