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मुनियाँ की कविता / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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मुनियाँ ने लिख डाली कविता,
सुंदर बड़ी निराली कविता।
वाह-वाह कितनी प्यारी,
मन को हरनेवाली कविता।
उसने इठला-इठला कर,
दादी से कह डाली कविता।
दादाजी ने पूछा तो,
झटपट कहीं छुपा ली कविता।