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जीवन / न्गुएन चाय / अनिल जनविजय

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सड़क का पत्थर चलने से घिस जाए,
वो बांस का वन ख़ूब फूल खिलाए,
पहाड़ों में गूँजें जबबन्दरों की चीख़ें,
हमारी खिड़की पर सूरज खिल जाए ।

गहरी छाया ले जब बादल घिर आएँ,
झील का नीला जल तब दिल बहलाए,
श्वेत बगुले और सारस उड़ें ताल पर,
मैं भी उनके साथ उड़ूँ वे मुझे बेहद भाएँ ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय