भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जन्म क्या है / अंकित काव्यांश

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 7 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंकित काव्यांश |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जन्म क्या है! बस
नदी का बर्फ में रूपांतरण,
और जीवन आयु की तपती शिलाओं का वरण।

कुछ उजाले
जिंदगी में इंद्रधनुषी रंग लाते,
कुछ अंधेरे सिसकती रोती निगाहों में समाते,

संतुलन के लिए
ही मन की तुला पर बोझ सहते,
यह समय की जय-पराजय है जिसे कुछ लोग कहते
भाग्य या दुर्भाग्य का प्रारम्भ या अंतिम चरण।
जन्म क्या है! बस नदी का बर्फ में रूपांतरण।

फिर वही
जंगल मिला है किन्तु पथ फिर ढूँढना है।
इस जनम भी पार जाने की तड़प में भटकना है।

अनुभवी पँछी
बताता यह कि जंगल तैरता है
कामना के द्वीप से जीवन पिघलकर निकलता है।
कुल मिलाकर बर्फ का फिर से नदी होना मरण।
जन्म क्या है! बस नदी का बर्फ में रूपांतरण।