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ताना बाना / उदय प्रकाश

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हम हैं ताना हम हैं बाना ।
हमीं चदरिया, हमीं जुलाहा, हमीं गजी, हम थाना ।

नाद हमीं, अनुनाद हमीं, निश्शब्द हमीं, गंभीरा
अंधकार हम, चांद-सूरज हम, हम कान्हां, हम मीरा ।
हमीं अकेले, हमीं दुकेले, हम चुग्गा, हम दाना ।

मंदिर-मस्जिद, हम गुस्र्द्वारा, हम मठ, हम बैरागी
हमीं पुजारी, हमीं देवता, हम कीर्तन, हम रागी ।
आखत-रोली, अलख-भभूती, रूप घरें हम नाना ।

मूल-फूल हम, स्र्त बादल हम, हम माटी, हम पानी
हमीं यहूदी-शेख-बरहमन, हरिजन हम ख्रिस्तानी ।
पीर-अघोरी, सिद्ध औलिया, हमीं पेट, हम खाना ।

नाम-पता ना ठौर-ठिकाना, जात-धरम ना कोई
मुलक-खलक, राजा-परजा हम, हम बेलन, हम लोई ।
हम ही दुलहा, हमीं बराती, हम फूंका, हम छाना ।

हम हैं ताना, हम हैं बाना ।
हमीं चदरिया, हमीं जुलाहा, हमीं गजी, हम थाना ।