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कम्प्यूटर-रोबोट / शशिकान्त गीते
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हम रिमोट से चलने वाले
कम्प्यूटर-रोबोट।
धरती पर हैं पाँव
और हम
अन्तरिक्ष में खोए
रठराए हैं
स्वस्थ बीज सब,
उपग्रह पर बोए
कहाँ समय जो ढूँढ़े कोई
आख़िर किसमें खोट।
चुकी बैटरी,
ध्वनियाँ मद्धिम,
सी० पी० यू० गतिहीन
किसी तहलका
डॉट काम पर
भूखे हैं तल्लीन
आँखें सहमी फटी-फटी-सी
और सिले हैं होंठ।
उनके खेल,
ज़रूरत जितनी
उतनी विद्युत धारा
उनकी ही
मरज़ी पर निर्भर
अपना जीवन सारा
बटन दबे औ’ हम तो छापें
पट-पट अपने वोट।