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सुबह / कुँअर बेचैन
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सोई खिड़कियों को
जगा गई
नर्स-सी हवा।
देकर मधुगंधिनी दवा।
रोगी
दरवाज़ों की
बाजू में किरणों की घोंपकर सुई
सूरज-चिकित्सक ने
रख दी फिर
धुली हुई धूप की रुई
होने से
बच गई
चौखट विधवा।
जगा गई नर्स-सी हवा।
-- यह कविता Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।