पहला रात के अँधेरे में 
किसी सुनसान... बीहड़ में
चीते की फुर्ती से 
घात लगाकर आता है
और कुछ माल-असबाब ले 
गायब हो जाता है। 
घर पर बीवी डरी-सहमी
हर आहट पर चौंकती है
पता नहीं, आज क्या हो? 
दुहाई काली माता... रक्षा करना। 
नहीं पहनती मँहगी साड़ियाँ, गहनें
औरतें बातें बनाएँगी...
शक बढ़ेगा। 
पल-पल घुल रही है चिन्ता में 
कि आज सकुशल लौटेगा
उसका सुहाग या फिर। 
उधर, दूसरा... 
दिन के उजाले में 
मेन-रोड पर
बाँस का अवरोधक लगा 
कुर्सी पर पाँव फैलाये
शान से खा रहा है पान
ट्रक का ड्राईवर डरा-सहमा 
सारे ज़रूरी कागज़ात हैं
पर क्या फ़र्क पड़ता है? 
वह कैसे साबित करेगा कि
ओवर लोड नहीं है
कि रिन्युअल हुआ है
या फिर सामान स्मगलिंग का नहीं है? 
और फिर तब तक 
कई डंडों की चोट से 
उसके ट्रक और सामान का 
नुकसान हो चुका होगा
इसलिए कुछ पैसे निकाल कर हाथ में रखता है
बटुआ सीट के नीचे छिपाता है
गाड़ी बंद कर 
दबे पाँव उस तक पहुँचता है। 
...साला भिखारी समझ रखा है। 
गिड़गिड़ाहट का भी कोई असर नहीं
चलो, दो पेटी माल ही उतार दो
उसकी बीवी घर में बनी-ठनी बैठी है
हाथ में टीवी का रिमोट
खाना तैयार है। 
बस, अब आते ही होंगे
तब तक ढेर सारा सामान के साथ 
पहुँच जाती है जीप
ड्राइवर सामान उतार लाता है
उधर सज गई है मेज
लज़ीज गोश्त मनपसंद पेय
सुबह-सुबह एक असामी
एक मुर्गा और अंग्रेज़ी बोतल
पहुँचा गया था
सामान देख-देखकर 
बीवी निहाल हो रही है
वो कुछ गुण्डों ने कल रात ट्रक लूटा था
सुबह घर पर ज़ब्ती हुई है। 
और सुनो! 
शाम में यही साड़ी पहनना
सिनेमा कि पाँच-छह टिकटें आयी हैं
चाहो तो किसी को साथ ले लो
पाँच बजे गाड़ी भिजवा दूँगा
अभी चलता हूँ...
ड्यूटी का टाईम है॥