Last modified on 24 नवम्बर 2020, at 17:35

पासपोर्ट / महमूद दरवेश / विनोद दास

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:35, 24 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महमूद दरवेश |अनुवादक=विनोद दास |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वे मुझे पहचान न पाए
पासपोर्ट के काले धब्बों ने
मेरी तस्वीर की रंगत को उड़ा दिया था
उन्होंने मेरे ज़ख़्मों को उन सैलानियों के सामने नुमाइश की
जिन्हें तस्वीरें जमा करने का शौक़ था

उन्होंने भी मुझे नहीं पहचाना
मेरे हाथों से धूप को सरकने न दें
चूँकि इन किरणों में दरख़्त मुझे पहचानते हैं
बारिश के सभी गीत मुझे पहचानते हैं

मुझे मटमैले चाँद की तरह मत छोड़ो,
मेरे हाथ के पीछे-पीछे सभी परिन्दे
सुदूर बने हवाईअड्डे की बाड़ तक आते हैं
आते हैं गेहूँ के सारे खेत
सभी क़ैदख़ाने
सभी सफ़ेद क़ब्रें
सभी सरहदें
सभी हिलते रुमाल
सभी काली आँखें
सभी आँखें मेरे साथ थीं
लेकिन उन्होंने पासपोर्ट से उन्हें निकाल दिया
नाम और पहचान से मुझे उस मुल्क में महरूम कर दिया
जिसकी देखभाल मैंने दोनों हाथों से की थी

आज उस धीरज भरे आदमी की आवाज़ आसमान में गूँजती रही
सुनो, पैगम्बर हुज़ूर !
दुबारा मेरी जाँच मत करो
पेड़ों से उनके नाम मत पूछो
घाटियों से उनकी माँ के बारे में मत पूछो

मेरे चेहरे से निकल रही है तलवार की चमक
और मेरी गदोलियों से फूट रहा है नदियों का सोता
लोगों के दिलों में है मेरी राष्ट्रीयता
मेरा पासपोर्ट तुम ले जाओ

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास