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अक्षय प्रेम-जल / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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भाव निर्मल
अक्षय प्रेम-जल
पूरित उर
दान में प्रिय दे दो
जीवन-तृषा
मिट जाए समूल
आँचल दे दो,
अधर-मधु पिला
सम्बल दे दो
बिम्ब तुम्हारा सदा
नयनों में हो
पल विकल दे दो.
प्राण -रज्जु हो
तुम्हारे ही हाथों में
अंतिम पल
हों अधर विचुम्बित
वे पल दे दो.
जग ने दिया दर्द
कपट-छल
आस्था शीतल दे दो.
कण्ठ लगाओ
अब दूर न जाओ
वक्त है कम
मन की कह देना
हँसके विदा देना।