1
धुले नभ में
बच्चों के मन- जैसा
इन्द्र धनुष
ध्वयाँ-आगास
बाळूमन जनु च
इंद्रधनुस
2
कमलदल
सौन्दर्य का उत्सव
सरोवर में
कौंळदल च
सुंदरता कु त्यार
इन ताल माँ
3
नूपुर ध्वनि
धूप के पाँव पड़े
देहरी पर
घुँघुरु बाजी
घामा खुट्टा पड़िन
देळी परैंईँ
4
फूलों से सीखो
सुगन्ध कहना या
मौन रहना
फुल्लु माँ सिखा
खुसबो बुन्न य त
बौग ई मन्न
5
नैन रोते हैं
अश्रु के पन्नों पर
शब्द बोते हैं
आँखा रूँदिन
आँसु क पन्नों परैं
सबद बूँदा
6
जोगिया तन
कर रहा आज भी
सिया हरण
जोगी सरैल
कन्नू आज बि बल
सिया हरण
7
कृतार्थ हुआ
मेरे गूँगेपन को
मिली बाँसुरी
धन्य ह्वे गयों
मेरा गूँगा पन तैं
मिलि बँसुळीं
8
पढ़ता रहा
पहाड़ नदी वन
बंजारा मन
पढ़णु राई
पाड़ गंगाजी बौंण
लुंडेरु मन
9
मोबाइल ने
बोनसाई रिश्ते
घरों में रोपे
मुबैल न ई
बोन्साई तरौं रिस्ता
घरू माँ रोप्या
10
क्षमा करना !
बड़े कृतघ्न हम
पीपल-पिता
माफ करि दे!
हम भौत निर्गुणी
पिफळ बुबा
11
कविता भी है
माँ -सी ममतामयी
पोंछती आँसू
कविता बि च
ब्वे तरौं ममत्याळीं
पुंजदी आँसु
12
गौरैया माँगें
नीड़ भर जगह
बस हमसे
घिंडुड़ी माँगू
घौर जन्नी इ जगा
दा हम मुन
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