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हाइकु / सुषमा गुप्ता / कविता भट्ट

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1 कड़वी बात दे मन पर घाव कभी न भरे।

कड़ि बात जु द्यो मन परैं घौ वु कबि नि भर्दा 2 कभी तो लौट देख आकर ज़रा वहीं है खड़े ।

कबि त बौड़ देख दौं ऐ क जरा उखिम खड़ू 3 नि;शब्द खड़ी तारों में ढूँढती हूँ कहाँ हो तुम !

चुप्प छौं खड़ू गैंणों माँ खोजदु छौं कख छैं तुम 4 चंद बादल अनगिनत प्यासे है हाहाकार ।

कुछ बादळ बिगणति तिस्वाळा ह्वे हाहाकार।

5 आओ दो पल बैठेंगें हम पास जीवनसाथी ।

औ दौं द्वी घड़ी बैठला दग्ड़ी हम घौड़ा र ज्वाड़ा 6 कम जीवन साथ और भी कम जियो जी भर।

कम ज्यूँण च दग्ड़ू हौर बि कम जींण जी भरि 7 जिंदगी सारी खुशनुमा बहुत बाँहे फैलाओ ।

जिंदगि सैडी राजी-खुसी च भौत अंग्वाळ फैलौ 8 ये तारे ऐसे चाँदनी की चुनरी टँके हों जैसे

यु गैंणा इन जुनाळि चुन्नी माँ टाँग्याँ हों जन 9 चिड़िया -चोंच दबा रही तिनका खोजे ठिकाना ।

प्वथलि-चोंच दबौणि तृणु तैंईँ ख्वज्णि ठिकाणु। 10 मन व्यथित ‘मुस्कान भी है झूठी’- आँसू कहते ।

मन दुख्यारु मुल्ल हैंसी बि झूटि आँसु बुलणा। 11 भोर परोसे सुंदर- सा सपना सूरज- थाली।

बिन्सरी धारु सुन्दर सिइ स्वीणू सुरजै थाळी । 12 दर्द विशेष अपनों की है देन रख सँभाल ।

पिड़ा खास च अपड़ौ कि इ देईं सौंकि धौर दौं। -0-