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आम ज़िन्दगी / विचिस्लाफ़ कुप्रियानफ़ / दिविक रमेश

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आम जीवन का एक अजीब एहसास
कोई चलता है ऊपर, तुम्हारे सिर के,
किसी के सिर पर
चलते हो तुम ।

देखकर चात, भरते हो आह –
आकाश ।
देख कर फ़र्श, तु रहते हो बोलती
पृथ्वी ।
कितने उदास हो तुम
न पाकर
एक ही आर्मा
अपने क्षितिज पर ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिविक रमेश