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आसावरी काकड़े / परिचय

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`मौन क्षणों का अनुवाद' शीर्षक से श्रीमती आसावरी काकड़े का हिंदी में पहला कविता-संग्रह है । वे मराठी की एक सुपरिचित कवयित्री हैं । मराठी में उनके तीन कवितासंग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । इन संग्रहों का मराठी में अच्छा स्वागत हुआ है । इनकी कविताएँ चर्चित हुई हैं और श्रीमती काकड़े को इनके लिए पुरस्कार भी मिले हैं ।

प्रस्तुत संग्रह की भूमिका के लिए उनके एक मराठी कवितासंग्रह की भूमिका का उद्धरण यहाँ प्रस्तुत है। वें लिखती हैं कि `ऋतुचक्र की तरह आनंद, उल्लास, व्यथा, वेदना, भय और बेचैनी पैदा करने वाले क्षण जीवन में आते-जाते रहते हैं और ये जीवन को सार्थक बनाते हैं। प्रस्तुत कवितासंग्रह में भी कवयित्री के इसी प्रकार के भावों को शब्द मिले हैं। इन कविताओ में अवसाद, मनोवेदना, आनंद और उल्लास को बडे अनूठे ढंग से प्रस्तुत किया गया है। कहीं पर अकेलेपन का चित्रण, तो कहीं प्रतीकों के रूप में, तो कहीं बिंबो द्वारा कविता प्रकट हुई है। एक उद्हरण यहाँ प्रस्तुत है -

`धरती ने अपने ज्वालारस को एक अभेद्य कवच पहना रक्खा है इसलिए वह शांत है। अन्यथा वह भी सूरज की तरह जगमगा उठती।' यहाँ पृथ्वीरूपा नारी ने अपनी छिपी शक्ति को संचित कर रख्खा है। इसलिए वह शांत और सहनशील है ! वह युगों से पृथ्वी की तरह विषमता को सहन करती आ रही है और चुप है। यदि नारीशक्ति लावा की तरह कवच-मुक्त होती तो समाज और सृष्टि में नई ऊर्जा का प्रकाश फैल जाता। जीवन जगमगा उठता। इस तरह इस संग्रह की अनेक कविताएँ प्रतीक या अन्योक्ति के द्वारा नारी की मानसिकता को अभिव्यक्त करती हैं। ईर्ष्या, घृणा, बेचैनी, विरह, अकेलापन, रिक्तता आदि मनोभावों को इन कविताओ में आकार मिला है।

एक कविता में वे लिखती हैं कि मुझे जीवन में सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं। किंतु दुख इन सुखों मे छिपकर आया है। अर्थात जीवन में ऐसा कोई दुख है जो वाचाहीन है, केवल अनुभव से ही वे उसको जानती हैं।

इन कविताओ में अद्भुत व्यंजना है। नपेतुले शब्दों में अंकित ये कविताएँ पाठक के मनोदेश को किसी रहस्यमय अनुभूति में पहुँचा देती हैं। अकेले होने और बहुत पाने और फिर उसे खो देने की व्यथा इन कविताओ में जगह-जगह देखने को मिलती है। तुलना के माध्यम से ईर्ष्या, और पुत्र के संबोधन के माध्यम से अपनी इयत्ता को बड़े सामर्थ्य से कहा गया है।

श्रीमती काकड़े अनेक जगहों पर बड़ी बेपर्दगी से अपनी वह बात बता देती हैं जो अनेक कवि अपनी मानसिक थाती समझकर छाती से चिपकाए रखते हैं। इसका कारण यह भी हो सकता है कि अक्सर लेखक इस प्रकार के अनुभवों को तटस्थ होकर नहीं देख पाते। वे मनोवेदना में डूबे रहते है। श्रीमती आसावरी इन अनुभवों में डूबकर किनारे पर आना चाहती हैं और आ भी जाती हैं। उनके इस प्रकार डूबने और बाहर आने का बोध और उसकी अभिव्यक्ती आदमी में समझ पैदा करती है ।

प्रस्तुत कवितासंग्रह आपके हाथों में है, इसे पढ़कर देखिए। आप इन नपेतुले शब्दों द्वारा न जाने कौन-से संसार में पहुँच जाएँगे। श्रीमती काकड़े हिंदी के कवितासंसार के अंतर्जगत से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। मराठी के साहित्य का अपना अंतरंग है जो हिंदी से भिन्न है। हिंदी कविता की आक्रमक भूमिका मराठी की दलित कविता में अवश्य दिखाई देती है किंतु मराठी की मध्यमवर्गीय कविता का रूप अलग है। हिंदी की कविता गलियों, बाजारों,मैदानों मे, घरो में भटककर जीवन के अनेक रूप प्रस्तूत करती हैं। मराठी में भी यह है पर भीड़ से अलग एकांत में मनन की मुद्रा में। खैर, यहाँ हिंदी और मराठी की कविता की तुलना करना मेरा मकसद नहीं है क्योंकि मैं मराठी कविता पर कुछ कहने का अधिकारी नहीं हूँ। मेरा आशय केवल मराठी और हिंदी की समकालीन कविता के स्वभाव को अपनी समझ से अंकित करना है।

हिंदी की प्रेमकविता मराठी की प्रेमकविता जैसी मुखर नहीं है। श्रीमती काकड़े ने अपनी प्रेमकविता में इसी विशेषता को व्यक्त किया है । इसका कारण शायद यही है कि वे मराठी से हिंदी में आई हैं । उनकी यह भावभूमि हिंदी की कविता को समृद्ध बनाती है।

इन कवितओं की प्रतिबद्धता जीवन, समाज और व्यक्ति के अस्तित्व की पहचान से है। व्यक्ति समाज में रहता है। उसके सामाजिक संसार के साथ उसका अपने आंतरिक अनुभवों का संसार भी होता है। श्रीमती काकड़े की सामाजिक प्रतिबद्धता है नारीमुक्ति की प्रतिबद्धता और उसे वे व्यक्त करती हैं अपने जीवन में होने वाले विरोधाभासों से।

श्रीमती काकड़े बड़ी विनम्रता, किंतु दृढ़ता से हिंदी जगत में आ रही हैं । यदि भाषाभेद को हटा दिया जाए तो उनका यह चौथा कवितासंग्रह है । फर्क केवल इतना है, कि तीन संग्रह मराठी में हैं और एक हिंदी में । इसलिए उनकी अभिव्यक्ति में प्रौढ़ता और परिपक्वता है । अस्तु । मेरा विश्वास है कि हिंदी साहित्य इस कवयित्री का स्वागत करेगा ।
सम्पर्क : आसावरी काकड़े
सेतु डी-1/3, स्टेट बैंक नगर,
कर्वे नगर, पूना - 411052
टेलिफ़ोन : +91-020-2543 1377
मोबाइल : +91-93718 36889
ई० मेल : asavarikakade@gmail.com