Last modified on 29 दिसम्बर 2008, at 07:11

हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी/ विनय प्रजापति 'नज़र'

विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:11, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र' }} category: रूबाई <poem> '''लेखन वर्ष: ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लेखन वर्ष: २००३
हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी
जिसको लोहा कहा गया था
मगर जब उतरे बर्ग़े-बहार
दोस्ताना मोर्चा खा गया था

बर्ग़े-बहार= बहार के पत्ते, मोर्चा= जंग, rust