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घर -२ / नवनीत शर्मा

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खिड़कियों को भाने लगा है आकाश

सूरज से बिंध रही है छत

घर तब तक ही रहता है घर

जब तक उग नहीं आते

उसी में से और कई छोटे-छोटे घर.