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वतन / सीमाब अकबराबादी
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जहाँ जाऊँ वतन की याद मेरे साथ रहती है
निशाते-महफ़िले- आबाद मेरे साथ रहती है
वतन ! प्यारे वतन ! तेरी मुहब्बत जुज़वे ईमाँ है
तू जैसा है,तू जो कुछ है, सुकूने-दिल का सामाँ है
वतन में मुझको जीना है,वतन में मुझको मरना है
वतम पर ज़िन्दगी को एक दिन क़ुरबान करना है
निशाते-महफ़िले-आबाद : भरी महफ़िलों के वैभव