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सदस्य वार्ता:घनश्याम चन्द्र गुप्त

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क्या मैं यहां जो कुछ लिखूंगा, उसे कविता कोश की संपादन समिति देख पायेगी? यदि हाँ, तो यह बहुत सुविधाजनक है। उत्तर देने की आवश्यकता हो तो जैसा उचित हो, यहां अथवा समूह पर दिया जा सकता है।

और कौन देख सकेगा?

डा० जगदीश व्योम की कविता के शीर्षक में "अहिंसा के विरबे" न होकर "अहिंसा के बिरवे" होना चाहिये।

'अपना सुझाव भेजिये' पृष्ठ पर 'इत्यादी' को 'इत्यादि' कर दिया जाय।

'सहयोगी'पृष्ठ पर 'किसी सिसओप या संपादक द्वारा जोड स्वयं ही जोड दिया जाएगा।' के स्थान पर 'किसी सिसओप या संपादक द्वारा स्वयं ही जोड़ दिया जाएगा।' कर दिया जाय।

- घनश्याम

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