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गुलाब / सौरीन्द्र बारिक
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तुम्हारे अधर का रंग इस गुलाब में और मेरा ही रूधिर उस अधर में
इस फूल को अपने जूड़े में लगाने के पहले ओ याज्ञसेनी ! एक बार अच्छी तरह सोच लो कहीं मेरा रूधिर बड़े चाव से तुम अपने जूड़े में लेप तो नहीं रही ?