भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सदस्य:Dr shyam gupta

Kavita Kosh से
Dr shyam gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:32, 27 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: कविता जगत मैं अगीत विधा का आजकल काफ़ी प्रचलन है .। यह विधा १९६६ से ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता जगत मैं अगीत विधा का आजकल काफ़ी प्रचलन है .। यह विधा १९६६ से डा रन्ग नाथ मिश्र द्वारा प्रच्लित की गयी है। अगीत एक छोटा अतुकान्त गीत -रचना है, ५ से ८ पन्क्तियों की. यथा-

 चोरों ने सन्गठन बनाये ,

चालें चल हरिश्चन्द्र हटाये, सत्ता मैं आये ,इठलाये, मिल कर चोर- चोर चिल्लाये, जनता सिर धुनकर पछताये।