Last modified on 4 अक्टूबर 2006, at 18:29

वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ / बिहारी

डॉ॰ व्योम (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 18:29, 4 अक्टूबर 2006 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लेखक: बिहारी

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ, बड़ाई बड़ी खरी यौ जग झेली।

साँप फुकारन सीस रसारनु है सबसे जिय ऊपर खेली।

बाइक एक ही बार उजारि कै मारि सबै ब्रज नारि नवेली।

मोहन संग तू लै जसुरी, बसु (री) बँसुरी ब्रज आइ अकेली।।