भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुष्यंत कुमार / परिचय

Kavita Kosh से
विकास (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:06, 16 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: '''दुष्यंत कुमार त्यागी''' (१९३३-१९७७) एक हिंदी कवि और ग़ज़लकार थे । इ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुष्यंत कुमार त्यागी (१९३३-१९७७) एक हिंदी कवि और ग़ज़लकार थे । इन्होंने 'एक कंठ विषपायी', 'सूर्य का स्वागत', 'आवाज़ों के घेरे', 'जलते हुए वन का बसंत', 'छोटे-छोटे सवाल' और दूसरी गद्य तथा कविता की किताबों का सृजन किया ।


दुष्यंत कुमार उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले थे । जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील (तरक्कीपसंद) शायरों ताज भोपाली तथा क़ैफ़ भोपाली का ग़ज़लों की दुनिया पर राज था । हिन्दी में भी उस समय अज्ञेय तथा गजानन माधव मुक्तिबोध की कठिन कविताओं का बोलबाला था । उस समय आम आदमी के लिए नागार्जुन तथा धूमिल जैसे कुछ कवि ही बच गए थे । इस समय सिर्फ़ ४२ वर्ष के जीवन में दुष्यंत कुमार ने अपार ख्याति अर्जित की । निदा फ़ाज़ली उनके बारे में लिखते हैं "दुष्यंत की नज़र उनके युग की नई पीढ़ी के ग़ुस्से और नाराज़गी से सजी बनी है. यह ग़ुस्सा और नाराज़गी उस अन्याय और राजनीति के कुकर्मो के ख़िलाफ़ नए तेवरों की आवाज़ थी, जो समाज में मध्यवर्गीय झूठेपन की जगह पिछड़े वर्ग की मेहनत और दया की नुमानंदगी करती है. "