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सितारा / पाब्लो नेरूदा

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»  सितारा

अरे, मैं कभी वापस नहीं गया

कचोट भी कोई नहीं है अब

वापस न जाने की ।

और बन्दरगाह को चूमती लहर

उसके जलमार्ग

नमक और जोंक की तरह

मैंने इस ख़ुदमुख़्तार ने

तट के इस टहलुआ ने

सौंप दिया ख़ुद को ।

ज़ंजीर बांध दी अपने आश्रय से ।


अब कोई आज़ादी नहीं हमारे लिए--

हम जो रहस्य के अंश-मात्र हैं,

कोई रास्ता नहीं बचा

खुदी तक
खुदी की चट्टान तक लौटने का ।

कोई सितारा बाक़ी नहीं बचा

सागर के सिवा ।