Last modified on 22 मई 2007, at 23:07

टूटें सकल बन्ध / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

Hemendrakumarrai (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 23:07, 22 मई 2007 का अवतरण (New page: रचनाकारः सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" Category:कविताएँ [[Category:सूर्यकांत त्र...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकारः सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

टूटें सकल बन्ध
कलि के, दिशा-ज्ञान-गत हो बहे गन्ध।

         रुद्ध जो धार रे
शिखर - निर्झर झरे
मधुर कलरव भरे
शून्य शत-शत रन्ध्र।

रश्मि ऋजु खींच दे
चित्र शत रंग के,
वर्ण - जीवन फले,
जागे तिमिर अन्ध।