भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अत्याचारियों की थकान / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:36, 27 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः मंगलेश डबराल Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
रचनाकारः मंगलेश डबराल
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
अत्याचार करने के बाद
अत्याचारी निगाह डालते हैं बच्चों पर
उठा लेते हैं उन्हें गोद में
अपने जीतने की कथा सुनाते हैं
कहते हैं
बच्चे कितने अच्छे हैं
हमारी तरह नहीं हैं वे अत्याचारी
बच्चॊं के पास आकर
थकान मिट जाती है उनकी
जो पैदा हुई थी करके अत्याचार ।
(रचनाकाल :1980)