Last modified on 14 नवम्बर 2008, at 21:24

अंटार्कटिका का एक हिमखण्ड / अरविन्द श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:24, 14 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव |संग्रह= }} <Poem> अभी खड़ा था यह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अभी खड़ा था
यही कोई लाख वर्षों से
समुद्र की देह पर
चुपचाप
निहार रहा था हमें

हार-थक कर एक झटके में
वह टूटा
पिघला
और मिनटों में खो गया
समुद्र में ।