जो हवा में है, लहर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है
शाम कन्धे पर लिये अपने
जिन्दगी के रू ब रू चलना
रोशनी का हमसफर होना
उम्र की कन्दील क जलना
आग जो जलते सफ़र में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।
जो हवा में है, लहर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है
शाम कन्धे पर लिये अपने
जिन्दगी के रू ब रू चलना
रोशनी का हमसफर होना
उम्र की कन्दील क जलना
आग जो जलते सफ़र में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।