Last modified on 10 सितम्बर 2009, at 22:58

जो हवा में है / उमाशंकर तिवारी

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:58, 10 सितम्बर 2009 का अवतरण

जो हवा में है, लहर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है

शाम कन्धे पर लिये अपने
जिन्दगी के रू ब रू चलना
रोशनी का हमसफर होना
उम्र की कन्दील क जलना
आग जो जलते सफ़र में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।