मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
छींके के सपने में खोई पूसी भड़की
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है
मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
छींके के सपने में खोई पूसी भड़की
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है