भीगा आकाश,
बूँदें,
पेड़ नम,
रात के अँधेरे में
नभ अदृष्ट ।
गीली धरती भी चुप,
मौन दिशा ।
दीवारें तम की
सब ओर घिरीं ।
किन्तु वह सितारा :
वह नन्ही-सी ज्योतिमान धारा:
वह तारा…
वह चमके ही जाता है,
बूँदों, अँधियारों के,
मौन के प्रहारों के
विरुद्ध ।
भीगा आकाश,
बूँदें,
पेड़ नम,
रात के अँधेरे में
नभ अदृष्ट ।
गीली धरती भी चुप,
मौन दिशा ।
दीवारें तम की
सब ओर घिरीं ।
किन्तु वह सितारा :
वह नन्ही-सी ज्योतिमान धारा:
वह तारा…
वह चमके ही जाता है,
बूँदों, अँधियारों के,
मौन के प्रहारों के
विरुद्ध ।