Last modified on 5 फ़रवरी 2009, at 12:08

अगहन / अरुण कमल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:08, 5 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण कमल |संग्रह=नये इलाके में / अरुण कमल }} <Poem> '''1. ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

1.

खेत पीले
हरा पेड़
नीला आकाश
बगुले सफ़ेद

2.

चुप
कर देते हैं धान से भरे खेत
जैसे बाढ़ की नदी
जैसे किसी सुन्दर युवती का बहस के बीच
सहसा प्रवेश
जैसे पहाड़ी चढ़ाई पर ट्रक की धीर गति
और गम्भीर थिर रोशनी का थम्भ
लगातार उठता ऊपर
आकाश
चुप