Last modified on 30 जुलाई 2008, at 22:51

सचमुच की यातना / अरुणा राय

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:51, 30 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुणा राय }} झूठी राहत<br> ढूंढ रहा था मैं<br> पर तूने दे डाल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

झूठी राहत
ढूंढ रहा था मैं
पर तूने दे डाली
सचमुच की यातना ..

.

खुशियों से
जो ढंक रहे थे मुझे
क्या कम था

क्या फितूर था

कि जिससे शीतलता पाई
चाह रही थी
कि वही
जलाए मुझे ...