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सचमुच की यातना / अरुणा राय
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झूठी राहत
ढूंढ रहा था मैं
पर तूने दे डाली
सचमुच की यातना ..
.
खुशियों से
जो ढंक रहे थे मुझे
क्या कम था
क्या फितूर था
कि जिससे शीतलता पाई
चाह रही थी
कि वही
जलाए मुझे ...