माँ सुनाती है कहानी
जो सुन रखी थी उनने
अपनी माँ से
और उनकी माँ ने
अपनी माँ से
सोचती हूँ
मैं भी सुनाऊंगी कहानी
अपने बच्चों को
इस तरह
चलती रहेगी कहानी पीढ़ी-दर-पीढ़ी
पर देखती हूँ कि
घटने लगी है तुलसी-चौबारे की तरह कहानी
और उठने लगे हैं
आंगन से
कहानियाँ सुनते-सुनाते लोग।