वह
अशोक वाटिका में रही
पर अ-शोक न भई
कि दुःख में तपकर ही
होती है अर्जित
यह शीतलता---
कोई अग्नि जिसे
जला नहीं पाती।
वह
अशोक वाटिका में रही
पर अ-शोक न भई
कि दुःख में तपकर ही
होती है अर्जित
यह शीतलता---
कोई अग्नि जिसे
जला नहीं पाती।