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पहाड़ / इब्बार रब्बी

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यहाँ से वहाँ
विराट आलस में बिछा
महान अजगर
करवट तक नहीं लेता वह

गले में बाँह डाल
पहाड़ से लिपट लटक
क्या करता बादल!

रचनाकाल : 25.02.1984