भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनवरतता / इला कुमार
Kavita Kosh से
Sneha.kumar (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 08:52, 21 मार्च 2008 का अवतरण
जंगल के सिरे पर गूँजती है मुर्गे की बांग
नदी की धार अर्ध आलोकित
क्रोड़ में दुबका चिड़िया का बच्चा जग पड़ा है
मानुष छौने से सदृश्य दबी-दबी सी चहचहाट
रस घोल जाती है
वन प्रान्तर के अदेखे लोक में
ममत्व की
अनवरतता
दिग्दिगांतर आप्लावित