भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे / आर. चेतनक्रांति

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे

कि तुम्हारा भी एक रूप हो निश्चित

कि तुम्हारा भी हो एक दावा

कि हो तुम्हारा भी एक वादा


कि तुम्हारा भी एक स्टैण्ड हो

कि तुम्हारी भी हो कोई `से´


वे तुम्हें मज़बूर करेंगे

कि रुको

और, कि या तो हाँ कहो या ना

कि चुप मत रहो

कि कुछ भी बोलो–अगर झूठ है तो वही सही

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे

कभी गालियों से

कभी प्यार से

कभी गुस्से से

कभी मार से

कभी ठंडी उदासीनता से तुम्हें तुम्हारे कोने में अकेला छोड़

दीवार पीछे खड़े हो इन्तज़ार करेंगे

वे तुम्हें अपने धैर्य से मज़बूर करेंगे


वे तुम्हें मज़बूर करेंगे

कभी कहेंगे कि तुम फ़ालतू हो,

कि ऐसा है तो तुम्हें मर जाना चाहिए

वे तुम्हें अपने ठोस फैसलों से मज़बूर करेंगे

वे तुम्हारे सामने एक शीशा रख देंगे

और कहेंगे कि इससे डरो जो तुम्हें इसमें दिख रहा है


वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपनी कल्पना से

और कल्पना की प्लानिंग से

वे कहेंगे कि तुम ईश्वर हो

बल्कि उससे भी ज्यादा ताकतवर

आओ और हम पर राज करो


वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपने समर्पण से।