भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चंदन सा बदन चंचल चितवन / इंदीवर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:35, 25 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: ऐ मेरे हमसफ़र ले रोक अपनी नज़र ना देख इस कदर ये दिल है बड़ा बेसबर चांद ...)
ऐ मेरे हमसफ़र
ले रोक अपनी नज़र
ना देख इस कदर
ये दिल है बड़ा बेसबर
चांद तारों से पूछ ले
या किनारो से पूछ ले
दिल के मारो से पूछ ले
क्या हो रहा है असर
ले रोक अपनी नज़र
ना देख इस कदर
ये दिल है बड़ा बेसबर
मुस्कुराती है चांदनी
छा जाती है ख़ामोशी
गुनगुनाती है ज़िंदगी
ऐसे में हो कैसे गुज़र
ले रोक अपनी नज़र
ना देख इस कदर
ये दिल है बड़ा बेसबर