भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिक्चर पोस्टकार्ड-1 / मिक्लोश रादनोती

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:56, 28 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=मिक्लोश रादनोती |संग्रह= }} Category:हंगारी भाषा <P…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: मिक्लोश रादनोती  » पिक्चर पोस्टकार्ड-1

बुल्गारिया से भारी, बेकाबू तोपों की धमक।
वह पहाड़ की रीढ़ से टकराती है, हिचकिचाती है और गिरती है।
आदमी, जानवर, गाडियाँ और ख़यालों का एक बढ़ता हुआ ढेर।
हिनहिनाकर सड़क अपने पिछले पैरों पर खड़ी होती है
आसमान अपनी अयाल लिए भाग रहा है। चलाचली के इस भूचाल में
तुम मुझमें हो, हमेशा के लिए
मेरे वजूद में तुम दमकती हो, चुप और अचल,
मौत के सामने गूंगे फ़रिश्ते की तरह या
एक सड़े हुए पेड़ के गढ़े में अपने को गड़ाते हुए कीड़े की तरह।

रचनाकाल : 30 अगस्त 1944
</poem