भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तीन (घोड़ेः रथ के) / सुदर्शन वशिष्ठ

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:04, 1 जनवरी 2010 का अवतरण (तीन ( घोड़ेः रथ के) / सुदर्शन वशिष्ठ का नाम बदलकर तीन (घोड़ेः रथ के) / सुदर्शन वशिष्ठ कर दिया गया है)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घोड़े दौड़ रहे हैं सरपट रथ में जुने
सारथि की हुँकार पर दौड़ते
दिशा बदलते पैंतरे बदलते करतब दिखाते
घोड़े रथ हैं
दूसरो की दिघ्रभ्रमित करने वाली चाल का नाम घोड़े
हैं।

जहाँ घोडे अपनी चल से चकरा
धंसा देते हैं रथ का पहिया
वहाँ कर्ण की मौत होती है
सारथि का कौशल
जय-पराजय,यश-अपयश,जीवन-मृत्यु
घोड़े हैं।